
काम छु कठिन पर नामुमकिन नहैं ...आओ मिलाओ हाथ, सब भै-बैण..
तुम लै भागीदार बनो, बनुहू उत्तराखंड राजधानी गैरसैण....
ठान एछौ मन में आज.. पुर करण-क सबुक स्वैण...
टाळ हैलो बहुत दिनां बे...अब बनानू उत्तराखंड-क राजधानी गैरसैण..
राजनितिक दल, राजनेता, फौंक्बाज़ बस कन्नै रैंल,
स्वैण छु हमौर..पै सच करूहूँ और को जैंल...
काम छु कठिन पर नामुमकिन नहैं ...आओ मिलाओ हाथ, सब भै-बैण..
तुम लै भागीदार बनो, बनुहू उत्तराखंड राजधानी गैरसैण....
और ले छन समस्या हमर यश ले सोचिल कुछ दगडू
भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, गरीबी छोडी बे गैरसैण पछिल किलै पडू
ठिक सोच्छा अपु.. हम लै तुमर दगड़ छूं ददा भुलु..
पर कैं तो करण पड़ली शुरुआत यौ लिजि हम गैरसैण चलु...
काम छु कठिन पर नामुमकिन नहैं ...आओ मिलाओ हाथ, सब भै-बैण..
तुम लै भागीदार बनो, बनुहू उत्तराखंड राजधानी गैरसैण....
देश-म भ्रष्टाचार कां नहैं, बेरोजगारी दुनिया म फैली...
गरिबिक यश हाल छु भैया, दुध बे सस्ती छु शराब-क थैली..
देश वाई परदेश लिजि महत्वपूर्ण हैछौ राजधानी..
वैं बटी विकास योजना बननि और एंछौ बिजुल पाणी..
दगडू, उत्तराखंड प्रदेश छु गरीब किसानुक.. जो रूणी पहाड मजी..
कसीक पहुंचाल अपण दुःख व्यथा राजधानी, जो छु इतू दूर बसी..
काम छु कठिन पर नामुमकिन नहैं ...आओ मिलाओ हाथ, सब भै-बैण..
तुम लै भागीदार बनो, बनुहू उत्तराखंड राजधानी गैरसैण....
जाँ ननाहूँ दूध नहैं वाँ शहर जाहूं डबल कद बे एँल ..
कशी करला गौं म विकासक आशा जब नेता शहरक चमकें चैल
किलेकी जाँ होली राजधानी ऊ तो वोट मांगहु वेंई जैल
शहरक विकास हुने रौल गरीब जस छि तस्स रेंल
गरीबी, अशिक्षा, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी ले उस्से रौली..
शहर और गौं म फर्क हन्ने जाल गैण..
काम छु कठिन पर नामुमकिन नहैं ...आओ मिलाओ हाथ, सब भै-बैण..
तुम लै भागीदार बनो, बनुहू उत्तराखंड राजधानी गैरसैण....
यौ नि हुन...ऊ नि हुन..कै बेर के नि हुन..
जब पिस्छा पिसि इजू .. ग्यौं दगड़ पिसछौ घुन...
चिपको आन्दोलन म कूदी कदूगै-ज मातृभूमि भक्त मैश सैण...
वी भाव चै हमुकें आज, बनाहूँ उत्तराखंड-क राजधानी गैरसैण....
कसीक नि हौल पुर हमर तुमौर यौ स्वैण ...
मिलबे करुल तो गोल ज्यू ले है जाल दैणं..
काम छु कठिन पर नामुमकिन नहैं ...आओ मिलाओ हाथ, सब भै-बैण..
तुम लै भागीदार बनो, बनुहू उत्तराखंड राजधानी गैरसैण....
Theme by: Sanjupahari
Inspiration & Motivation by: Sanjupahari
Written by: Bindia
Final editing by: Sanjupahari
तुम लै भागीदार बनो, बनुहू उत्तराखंड राजधानी गैरसैण....
ठान एछौ मन में आज.. पुर करण-क सबुक स्वैण...
टाळ हैलो बहुत दिनां बे...अब बनानू उत्तराखंड-क राजधानी गैरसैण..
राजनितिक दल, राजनेता, फौंक्बाज़ बस कन्नै रैंल,
स्वैण छु हमौर..पै सच करूहूँ और को जैंल...
काम छु कठिन पर नामुमकिन नहैं ...आओ मिलाओ हाथ, सब भै-बैण..
तुम लै भागीदार बनो, बनुहू उत्तराखंड राजधानी गैरसैण....
और ले छन समस्या हमर यश ले सोचिल कुछ दगडू
भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, गरीबी छोडी बे गैरसैण पछिल किलै पडू
ठिक सोच्छा अपु.. हम लै तुमर दगड़ छूं ददा भुलु..
पर कैं तो करण पड़ली शुरुआत यौ लिजि हम गैरसैण चलु...
काम छु कठिन पर नामुमकिन नहैं ...आओ मिलाओ हाथ, सब भै-बैण..
तुम लै भागीदार बनो, बनुहू उत्तराखंड राजधानी गैरसैण....
देश-म भ्रष्टाचार कां नहैं, बेरोजगारी दुनिया म फैली...
गरिबिक यश हाल छु भैया, दुध बे सस्ती छु शराब-क थैली..
देश वाई परदेश लिजि महत्वपूर्ण हैछौ राजधानी..
वैं बटी विकास योजना बननि और एंछौ बिजुल पाणी..
दगडू, उत्तराखंड प्रदेश छु गरीब किसानुक.. जो रूणी पहाड मजी..
कसीक पहुंचाल अपण दुःख व्यथा राजधानी, जो छु इतू दूर बसी..
काम छु कठिन पर नामुमकिन नहैं ...आओ मिलाओ हाथ, सब भै-बैण..
तुम लै भागीदार बनो, बनुहू उत्तराखंड राजधानी गैरसैण....
जाँ ननाहूँ दूध नहैं वाँ शहर जाहूं डबल कद बे एँल ..
कशी करला गौं म विकासक आशा जब नेता शहरक चमकें चैल
किलेकी जाँ होली राजधानी ऊ तो वोट मांगहु वेंई जैल
शहरक विकास हुने रौल गरीब जस छि तस्स रेंल
गरीबी, अशिक्षा, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी ले उस्से रौली..
शहर और गौं म फर्क हन्ने जाल गैण..
काम छु कठिन पर नामुमकिन नहैं ...आओ मिलाओ हाथ, सब भै-बैण..
तुम लै भागीदार बनो, बनुहू उत्तराखंड राजधानी गैरसैण....
यौ नि हुन...ऊ नि हुन..कै बेर के नि हुन..
जब पिस्छा पिसि इजू .. ग्यौं दगड़ पिसछौ घुन...
चिपको आन्दोलन म कूदी कदूगै-ज मातृभूमि भक्त मैश सैण...
वी भाव चै हमुकें आज, बनाहूँ उत्तराखंड-क राजधानी गैरसैण....
कसीक नि हौल पुर हमर तुमौर यौ स्वैण ...
मिलबे करुल तो गोल ज्यू ले है जाल दैणं..
काम छु कठिन पर नामुमकिन नहैं ...आओ मिलाओ हाथ, सब भै-बैण..
तुम लै भागीदार बनो, बनुहू उत्तराखंड राजधानी गैरसैण....
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Written by: Bindia
Final editing by: Sanjupahari
सन्जू दा... गैरसैंण राजधानी लिजि लोगुन के जोड़न भौत जरूरि छ..
ReplyDeleteगैरसैण के स्थाइ राजधानि बनौनाक जरूरत किले छ यो बतूनाकि तुमरि यो कविता पर्याप्त छ महाराज..
भौत-भौत धन्यवाद..
ladai hamri lagi roli, aaj nai t bhol jali lekin jarur jali gairsain......lagi raul ta.
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