माँ के लिए क्या लिखूँ, माँ ने ख़ुद मुझे लिखा है,
माँ के लिए क्या लूँ, माँ से ही सब लिया है,
माँ के लिए क्या मांगू, माँ हर दुआ में मेरी ख़ुशी माँगती है,
माँ के लिए क्या कहूँ, माँ शब्दों में ब्यान कहाँ हो पाती है,
माँ को क्या देखूँ, माँ बंद आँखों से मुझे पहचान लेती है,
माँ को क्या सुनू,माँ मेरे बिना कहे सब जान लेती है,
माँ को क्या समझूँ ,माँ मेरी समझ से परे है,
माँ दिल में उलझने पर चेहरे पर बेफ़िक्री लिए फिरे है,
माँ, क्यूँ तुझे चिंता आज भी इतनी हमारी होती है,
माँ, क्यूँ तू आज भी रातों की नींद हमारे लिए खोती है,
आज जब मैं भी एक माँ हूँ , पहले से थोड़ा बेहतर समझती हूँ,
क्योंकि अब मैं भी बच्चों के दर्द में सहमती, ख़ुशी में चहकती हूँ,
माँ, तू फ़िक्र अब कम कर, ज़िंदगी ज़िले ज़रा जी भर,
माँ, ख्वाहिशें कुछ तेरी भी रही होंगी, अब उन्हें पूरा कर,
माँ, बचत ना करना ये सोचकर, की मेरे बच्चों के काम आयेंगे,
माँ, खर्चे खुलकर कर, हम अपनी चादर अपने हिसाब से फैलायेंगे,
माँ, तेरे होने से ही तो मेरा मायका है,
माँ, तेरे होने से ही ज़िंदगी में जायका है,
माँ, टेंशन छोड़, योगा कर, घूमना-फिरना शुरू कर अभी,
माँ, तू भूल कर दुनिया को, अब बस अपनी मर्ज़ी से जी।