मेरे प्रिय भाई-बहन,
यूँ तो हमने बचपन से यह
रेशम की डोरी का पर्व मनाया है,
और तुम दोनों ने दिल से सदैव
इस रिश्ते का मान बढ़ाया है,
पर ज़िंदगी के ताने-बाने में,
रोज़मर्रा की उलझने सुलझाने में,
तुम्हें ‘thank you’ कहा हो याद नहीं,
पर भूली हूँ तुम्हारा योगदान कभी ये भी सत्य नहीं,
ठीक जैसे दोस्ती में no sorry, no thankyou
जानी पहचानी कहावत है,
घरवालों को sorry या thankyou कहना,
कहाँ हिंदुस्तानी रवायत है,
थोड़ा western culture में ढलते हैं,
चलो आज इस रवायत को बदलते हैं,
तो thankyou तुम दोनों को,
हर उस बात के लिए जो तुम यूँ ही मान गए
और thankyou तुम दोनों को,
हर उस जस्बात के लिए जो तुम बिन बोले ही जान गए
और thankyou तुम दोनों को
मेरी हर ज़रूरत कहने से पहले समझ जाने का
एक बढ़ा सा thankyou तुम दोनों का
इतने साल बिना thankyou मेरा साथ निभाने का
और हाँ लगे हाथ sorry तुम दोनों को
इतने साल छोटे से thankyou का महत्व ना समझ पाने का 💞