Friday, October 26, 2007

There's No Second Chance :)

Opportunities they say knock door just once...I believe, it's true 'coz life itself doesn't give a second chance...a second chance to undo the harm that has been done by a selfish act...a second to get lost love..another chance to express our heart felt feelings to someone...a chance to apologise for our mistake...so...grab every moment and live it as if it were the last one...and you know you wont get this moment again :)



Human life my dear..is granted just once,
Thank god for keeping you amongst the lucky ones…
Then why celebrate births and mourn deaths,
When we all have a momentary stay on earth..
Why believe in love & hate concept,
When everyone accepts no one is perfect..
Why earn & amass enormous wealth,
When it cannot buy even basic good health…
Why fight..disagree..and make our lives a mess..
When the length of our stay on earth no one can guess…
Life my dear doesn’t give a second chance,
Don’t sit and stare..there’s no time to glance…
Spread love not rumors and be tender to the young,
Create peace and compassion and be humble with the usage of tongue…
Learn patience and perseverance, keep away from wrong,
And make life for everyone around a beautiful song…
Never do anything you would not do in your last hour,
To let life leave you with memories more sweet less sour…
Live every moment as if it was the last one left,
Live it the best way possible before it goes undealt… :)

Monday, October 22, 2007

अनोखी वर्णमाला

यूं तो जिंदगी में गलतियाँ हरेक से होती हैं,
पर मेरी गलतियाँ सबसे unique होती हैं…
एक दिन बदकिस्मती से मैं अपने एक मित्र के घर गयी,
जहाँ मेरी मुलाकात उसके पांच साल के भतीजे से हुई…
देखने में तो मुन्डा बड़ा cute और polite था,
पर केवल तब तक जब तक वो quite था…
कुछ देर में मेरे मित्र ने अपने भतीजे के कान में फुस्सुसाया,
“बेटा आपने अभी तक दीदी को ABCD नहीं सुनाया”
बच्चा ज़रा जीझका,थोड़ा हिचकिचाया,
पर जब बोलने पर आया तो मेरा होश उड़ाया..
बोला, “A से आइये,
B से बैठिये,
C से चाय पीजिए और
D से दफा हो जाइये,
E से इस तरह गायब हो जाइए की
F से face अपना फिर ना दिखाइए
G से गलती से भी
H से हमारे घर के पास नज़र न आइये
I से इसके बाद
J से जहाँ चाहे जाइये, जो चाहे
K से खाइए, पीजिए
L से लेकिन दोबारा
M से मेरे
N से नज़र के सामने मत आइये
इतने में पाते ही मौका,
मैंने उसे कुछ इस तरह टोका
O से ओये
P से पुत्तर
Q से कृपा करके
R से रूक तो जाइये, थोडा तो
S से शरमाइये , इस तरह तो मेरी इज्ज़त की धज्जियाँ न उडाइये…
T से तुम्हारे भेजे में यह सब जिसने है घुसाया,
U से उनके इस प्रकार के शिष्टाचार
V से विचार
W से व्यवहार के कारण को
X से Xpress
Y से यदि कर सकें तो
Z से ज़रा समझाइये
और इसके बाद ग्यारह number की बस पकड़ कर मैंने ऐसी दौड़ लगाई
सच मानिए घर पहुंच कर ही मेरी सांस में सांस आई…
उस दिन से मैंने मन में यह फैसला किया
और उन सब मित्रों के घर जाना छोड़ दिया
जिनके घर में छोटे भांजा भांजी या भतीजा भतीजी थे
ताकि औरों कीं ना सही, कम से कम खुद की नज़रों में तो मेरी इज्ज़त बनी र
हे

Sunday, October 7, 2007

क्यों?

जीवन के इस खेल में सोचो क्या खोया क्या पाया तुमने..
सबकुछ पा लेने की चाह में क्या-क्या नहीं गवायां तुमने…
पास था जब तक पिता का साथ, मुमकिन लगता था हर ख़्वाब,
जो चाहा है मिल जायेगा, दिल में रहती थी यह बात…
ममता का था जो आँचल सर पर, पोछे थे आंसू जिसने हर पल…
टूट चुके हैं सब सपने उनके जिनके हर सपने में तुम थे…
तुम्हारी इच्चाओं के कारण भूल गए जो अपने सुख..
अंतर मन में झाँक कर बोलो…क्यों दिए उनको दुःख….
दोस्त समझकर जिसने तुम पर था विश्वास किया…
क्या सोचकर उसके दिल को कांच की तरह तोड़ दिया….
पग पग पर अपने जीवन के जाने कितनों का एहसान लिया…
काम हुआ जब पूरा अपना क्यों उनको पीछे छोड़ दिया….
शायद लगता है तुमको की ख़ुशी तुम्हारी सिर्फ तुमसे है…
भूल गए कैसे उनको जिनकी ज़िन्दगी तुम्ही से है….
दुखा कर इतने दिलों को कैसे खुश भला रह पाओगे…
टूटेगा जब कोई सपना…तो लौट कर कहॉ फिर जाओगे