बाढ़ आई - बाढ़ आई , चारों तरफ मची तबाही,
घर टूटे, बच्चे छूटे , पानी ने तो किसी पर भी दया न खायी,
सड़के टूटी, किस्मतें फूटी, जाने किसकी माँ बही और किसने खोये बहन भाई,
कल तक गूंजती थी जहां बच्चों की किलकारियां, आज वहां खौफनाक वीरानी है छाई,
खबरे छपी, खबरे बटी, कुछ तो पढकर भूल गए, पर शायद कुछ की आँखें भर आई,
सत्ता में बैठे लोगों को इसमें भी राजनीति ही दी दिखलाई,
तुम भी खुश हो, मैं भी खुश हूँ, क्यूंकि जिनपर बीती उनमें हमारे अपने न थे,
पल भर में जो चूर हो गए उनमें हमारे सपने न थे, धन्यवाद प्रभु तुम्हारा तुमने हमपर बड़ी दया दिखाई,
पर काश केवल आँख मूँद लेने भर से बदल जाती कड़वी सच्चाई
मेरी ना हो किसी की तो होगी वो बहन वो बीवी जिसने अपने भाई, अपने पति की जान गवाई
मेरे ना हो किसी के तो होंगे वो दूधमुहे बच्चे जिनकी माँ उन्हें भूखा पेट छोड़ प्रभु के पास चली आई
मेरे ना हो किसी के तो होंगे वो बूड़े माँ बाप जिन्होंने नम आँखों से दी अपने बेटे बहु को अंतिम विदाई
No comments:
Post a Comment