बदल गया सब, अब कुछ भी तो नहीं पहले जैसा,
जब प्यार भी बसता था दिलों में, सब कुछ नहीं था पैसा |
ना परिस्थितियाँ हैं वैसी ना ही वैसे हालात हैं,
ना इंसानियत रही वैसी ना ही वैसे जस्बात है|
ना ही मन में धीरज ना ही दिमाग में सुकून है,
कुछ डरा, सहमा, ज़ख़्मी दिखता जीने का जूनून है|
कैसा है ये खौफ, किस तरह का ये मौन है,
जिंदगी तो है वही, पर ये जीने वाला कौन है|
जब प्यार भी बसता था दिलों में, सब कुछ नहीं था पैसा |
ना परिस्थितियाँ हैं वैसी ना ही वैसे हालात हैं,
ना इंसानियत रही वैसी ना ही वैसे जस्बात है|
ना ही मन में धीरज ना ही दिमाग में सुकून है,
कुछ डरा, सहमा, ज़ख़्मी दिखता जीने का जूनून है|
कैसा है ये खौफ, किस तरह का ये मौन है,
जिंदगी तो है वही, पर ये जीने वाला कौन है|
1 comment:
Very good and realistic poem....
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