“तो अब जब कर लिया उम्र का एक और पड़ाव पार 🏃🏻♀️...
कैसा लगता है आपको जन्मदिन पर इस बार ?...” 😛
कुछ अपने मुस्कुराते 👅 हुए पूछ ही लेते थे हर साल...
घबराहट 🥴 पैदा करता था किसी के उम्र पूछ लेने का ख़्याल...
क्यूँकि ढलती उम्र की पोल खोल ही देते थे फूले बाल...🤦🏻♀️
तो “बहुत बढ़िया” कहकर मैं टाल देती थी आगे के सवाल...😳
पर होनी को कहाँ, कोई, कभी, किसी भी तरह टाल सका है...
आख़िर, स्वाँस और उम्र का रिश्ता तो स्वयं ईश्वर 🙏 का रचा है...
बढ़ती ⬆️ उम्र तो निशानी है जीवन की, कि स्वाँस अभी तक रुकी 🚦नहीं है...
कि ख़्वाब 💭 कुछ अधूरे अब भी हैं, की आस अभी तक थकी 🚴🏻♀️नहीं है...
कि ये बाल धूप में नहीं किए सफ़ेद, दशक बीते तब आया इनमें ये रंग सुनहरा 👩🏻🦳 है...
कि ये रेखाएँ यूँ ही नहीं खिचीं चेहरे पर 👵🏻, हर रेखा के पीछे छिपा राज एक गहरा है...
तो सोचा इस बरस इस सवाल को गोल नहीं घूमाऊँगी 🙅🏻♀️...
ये बरस ही आया है कुछ ऐसा, सब बोलकर 🗣 बतलाऊँगी...
इस बार कुछ डरा-डरा🙍🏻♀️ सा है मन मेरा...
कैसे कहूँ, कुछ भरा-भरा 😥 सा है मन मेरा...
सोचा नहीं था 🤯 जो कभी, वो दिन एक महामारी 🦠 ने दिखलाया है...
पहले से सिमटती सबकी दुनिया को, अब केवल घर 🏠तक ही सिमटाया है...
करोना पॉज़िटिव ➕और नेगेटिव➖, इंसानो में अब बस ये दो खंड हो गये...
जीवन और मृत्यु दोनों ही, इस परिस्थिति 😷 में तो दण्ड हो गए...
ना सबके साथ मिलकर ख़ुशी मना 💃🏻सकते हैं...
ना किसी के दुःख में शामिल होने जा 🚶🏻♀️सकते हैं...
ज़रा बताइये ये डर-डर कर जीना भी कोई जीना है लल्लू?
करोना काल में ज़िंदगी हो गयी बाबाजी का ठुल्लू 👎
ऐसे में क्या तो जन्मदिन 🤷🏻♀️ और कैसा उसका जश्न...
स्वाँस रही तो अगले बरस फिर आएगा ये बार, ये लग्न 🥳...
फिर नव ऊर्जा से सोचूँगी, उम्र को अपनी कैसे छिपाऊँ 🤓...
...
You are welcome to my memorabalia!!! Here you would come across some of my very dearest creations...my poems..my heart & soul...You may agree, disagree or be indifferent to my thought process...however, if you come here once you would certainly not be able to ignore it :) Hope you enjoy reading it as much as I enjoyed writing these years ago...and may be even now :) Cheers!! Live, Love & Laugh!!
Wednesday, July 8, 2020
क्वॉरंटीन जन्मदिन :)
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