You are welcome to my memorabalia!!! Here you would come across some of my very dearest creations...my poems..my heart & soul...You may agree, disagree or be indifferent to my thought process...however, if you come here once you would certainly not be able to ignore it :) Hope you enjoy reading it as much as I enjoyed writing these years ago...and may be even now :) Cheers!! Live, Love & Laugh!!
Wednesday, July 7, 2021
जो
हमारा दिल ना जलाओ
तीज-त्यौहार पर
बात सबसे हो ही
जाती है,
रोज़-रोज़ बात
करने की नौबत किसी
से कम ही आती
है,
फिर भी कभी-कभी यूँ ही
फ़ोन मिला लेते हैं,
ठीक हैं वो
पूछकर, ठीक हैं हम
बता देते हैं,
एक दिन यूँ
ही एक जनाब को
फोन लगाया,
"आज कैसे याद
किया" वहां से पहला
प्रश्न आया,
सुनते ही मन खराब
हुआ, दिमाग भन्नाया,
कहना जो चाहा
वो लब तक ला
ना पाया,
जैसे-तैसे दो
मिनट अगले से बतियाया,
जब रखा फोन,
तब कहीं चैन आया,
फ्री WhatsApp कॉल होने पर
भी जो करते हमारी
ही कॉल का इंतज़ार
हैं,
वो इस तरह
के वाहियात प्रश्न पूछने के किस तरह
हकदार हैं,
मियाँ मशरूफ हो तुम, तो
हम भी कहाँ खाली
बैठे हैं,
किस बात की
अकड़ है आपको, किस
लिए यूँ ऐंठे हैं,
रिश्ता कोई भी हो,
दोनों ओर से बराबर
ईमानदारी ज़रूरी है,
एक तरफ से
जो निभे, वो रिश्ता नहीं
बस एक मज़बूरी है,
याद इतना ही
करते हो हमको तो
कभी खुद ही फोन
मिलाओ,
वरना ये ऊलजलूल
सवाल करके हमारा दिल
ना जलाओ।