Wednesday, July 1, 2009

काश ...

कहते हैं मनुष्य योनी में जन्म बहुत मुश्किल से मिलता है... शायद इसीलिए मनुष्य का मन हमेशा व्याकुल रहता है ... उसमें तरह तरह के विचार और इच्छाएं पैदा होती रहती हैं... जिनके पूरा होने या अधूरा रह जाने के साथ हमारी खुशियाँ और ना-उम्मीदी जुड़े होते हैं॥ ऐसी ही कुछ इच्छाएं जब आज से पाँच साल पहले मेरे मन में आयी होंगी ...तब इन पंक्तियों का जन्म हुआ होगा :)


काश तेरे अर्थ को जिंदगी मैं समझ पाती,
चाहती है तू मुझसे क्या काश ये जान जाती...
काश तेरी पहेलियों का हल कहीं से ढूँढ लाती,
काश तेरे हर कदम से कदम मैं भी मिला पाती ...
काश तेरे रहते रोते किसी चेहरे पर मुस्कान ले आती ,
और खुशियों से भरा कोई गाना आज मैं भी गाती ...
काश किसी की निराशा को आशा में बदल पाती ,
और किसी अंधियारे जीवन को रंगों से भर जाती...
काश किसी की दुश्मनी को दोस्ती में बदल पाती ,
और शान्ति ही शान्ति चारों तरफ़ फैला पाती...
चाहती हूँ जो भी काश वो सब मैं कर पाती ,
काश किसी के जीने का सबब मैं बन पाती ....

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