Thursday, August 2, 2012

शायद अब हम बडे हो गए...



वो राखी चुनना, नए कपडे बनाना...
वो मिठाई लाना और घर को सजाना...
वो पल, वो दिन जाने कहाँ खो गए...
शायद अब हम बडे हो गए...
वो मम्मी का घंटो किचन में खाना पकाना....
वो सुबह से सबकी राह तकना और राखी बाँध कर ही अन्न खाना...
वो लड़ना झगड़ना, वो मिलना मिलाना,
एक मीठे सपने जैसे ओझल हो गए...
शायद सभी अब बड़े हो गए... 



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