Friday, February 1, 2019

हमारी प्यारी अम्माँ - २

एक साल हुआ तुम चलीं गयीं,
पर याद जाती हो अब भी यूँ ही,
कभी बालों में तेल लगाते हुए,
कभी बेसन के चिल्ले बनाते हुए,
कभी भट्ट की चूढ़कानि में,
कभी क़िस्सों और कहानी में,
बस याद यूँ ही जाती हो,
बचपन की याद दिलाती हो,
जब नैनिहाल जाने का इंतज़ार होता था,
छोटे से घर में प्यार बेशुमार होता था,
अम्मा बूबू हर रोज़ मनपसंद खाना बनवाते थे,
घूमाने बिड़ला मंदिर और ताल कटोरा ले जाते थे,
तुम्हारे साथ मेरा वो नैनिहाल भी चला गया अम्मा,
बाबा की मीठी बच्ची जहाँ भी हो, ख़ुश रहना 🙏



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