कहते हैं, माता-पिता का प्यार खुद माता-पिता बन जाने पर ही समझ आता है..
पर कोई तो हैं, जिन्हें हर बच्चा प्यार की समझ होने से पहले से ही चाहता है
हमें देख कर जिनके चेहरे खिल जाते थे,
हमारे लिए जो कभी घोड़ा, कभी बन्दर बन जाते थे,
नाज़ नख़रे उठाये जिन्होंने सभी, मम्मी-पापा की डांट से भी कई बार बचाया.
ईशारों में समझ लीं ख्वाहिशें दिल की, लाड़-दुलार हम पर बेशुमार लुटाया .
बिन मांगे दिये आशीर्वाद ढेरों, हाथ सर पर उन्होंने जब भी फिराया,
अब बस स्वर्णिम यादें हैं बाकीं, वक्त उनके साथ जो भी था बिताया,
आमा-बुबू कहते थे हम जिनको, जिन्होंने पोथा, बबा, बाज्यू कह हमको बुलाया
आमा ने झोले से कभी निकाली मिश्री, तो बुबू ने कभी हाथ में रुपया थमाया
चलिए ये वैलेंटाइन डे करें नाम उनके, जिन्होंने हमें सबसे पहले प्यार करना सिखाया
चलिए उन यादों को एक बार फिर जी लें, क्यूंकि आमा का बक्सा फिर खुलने है आया
बेडुपाको.कौमक नयी पेशकश-आमक बगस
खुद ले सुणो औरूं क़े ले सुणाओ
यौ फार वैलेंटाइन्स डे अपण बुढ़ बाढ़ियां दगड मनाओ
अमाक बगस
पर कोई तो हैं, जिन्हें हर बच्चा प्यार की समझ होने से पहले से ही चाहता है
हमें देख कर जिनके चेहरे खिल जाते थे,
हमारे लिए जो कभी घोड़ा, कभी बन्दर बन जाते थे,
नाज़ नख़रे उठाये जिन्होंने सभी, मम्मी-पापा की डांट से भी कई बार बचाया.
ईशारों में समझ लीं ख्वाहिशें दिल की, लाड़-दुलार हम पर बेशुमार लुटाया .
बिन मांगे दिये आशीर्वाद ढेरों, हाथ सर पर उन्होंने जब भी फिराया,
अब बस स्वर्णिम यादें हैं बाकीं, वक्त उनके साथ जो भी था बिताया,
आमा-बुबू कहते थे हम जिनको, जिन्होंने पोथा, बबा, बाज्यू कह हमको बुलाया
आमा ने झोले से कभी निकाली मिश्री, तो बुबू ने कभी हाथ में रुपया थमाया
चलिए ये वैलेंटाइन डे करें नाम उनके, जिन्होंने हमें सबसे पहले प्यार करना सिखाया
चलिए उन यादों को एक बार फिर जी लें, क्यूंकि आमा का बक्सा फिर खुलने है आया
बेडुपाको.कौमक नयी पेशकश-आमक बगस
खुद ले सुणो औरूं क़े ले सुणाओ
यौ फार वैलेंटाइन्स डे अपण बुढ़ बाढ़ियां दगड मनाओ
अमाक बगस
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