बीते दो वर्ष, कहीं इंसान को इं
तो कहीं उसकी लालच, अहम, लोभ का
कहीं बच्चों के सर से माँ-पिता
तो कहीं बुजुर्गों का अपना-सा को
कहीं सब तक खबर पहुँचाने वाले,
तो कहीं ख़ुशियों से महकते घर,
जाने कितने ही अपने पीछे छूट गए
जाने कितनो के सपने पूरे टूट गए
2022 तुम कुछ यूँ आना, दुःख सभी
ख़ुशियाँ नई बेशक ना लाना, पर द
डरे, सहमे, हताश, निराश, बेबस,
एक नए विश्वास, नव चेतना की आस
वो आस-विश्वास, वो उम्मीद-उत्सा
पर अब भी जो बाक़ी है ज़रा-सा सा
ऐ नए साल, ग़र कुछ कर सकते हो तो बस इतना करना...
खुश हैं जो अब भी हर हाल में, मु
जाते हुए साल को सलाम, आने वा
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं
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