सुबह कांव-कांव की आवाज़ सुन उत्सुकता हुई तो खिड़की के बाहर झाँका... कहीं कोई मेहमान तो नहीं... देखा एक बिल्ली पेड़ पर चढ़ गयी थी और कौआ डरते हुए कांव-कांव कर उसे डराने की कोशिश कर रहा था... शायद उसका घोंसला था उस पेड़ पर। कौआ कभी इस पेड़ बैठता कभी उस पेड़ और बीच-बीच में तेज़ी से उड़ते हुए बिल्ली के पास से गुज़रता पर बिल्ली टस से मस नहीं हो रही थी।
कुछ ही समय में वहाँ चार-पाँच मैना और एक और कौआ आ गए ... सब मिलकर बिल्ली पर दबाव बनाने लगे और देखते ही देखते बिल्ली पेड़ से उतर गयी।
बड़ी ख़ुशी हुई ये देखकर की 'एकता' का महत्व पक्षियों को भी ज्ञात है..
जाने क्यूँ इंसान ही 'एकता' को कम आंकता है?
कुछ ही समय में वहाँ चार-पाँच मैना और एक और कौआ आ गए ... सब मिलकर बिल्ली पर दबाव बनाने लगे और देखते ही देखते बिल्ली पेड़ से उतर गयी।
बड़ी ख़ुशी हुई ये देखकर की 'एकता' का महत्व पक्षियों को भी ज्ञात है..
जाने क्यूँ इंसान ही 'एकता' को कम आंकता है?
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