मंदिर बंद, मस्ज़िद बंद, बंद है गुरुद्वारे और गिरजाघर,
मानो ईश्वर स्वयं रुष्ट हो गए , मानव के अभिमान पर,
नाम प्रभु का ले थे जो लड़ रहे, पल-पल अपनी मनमानी कर ,
भगवान ने कर दिये सब द्वार बंद, इंसान की ऐसी नादानी पर,
धन दौलत की अकड़ तेरी बन्दे, सब मिल गयी चुल्लू भर पानी में,
अंत नहीं, है अभी अल्पविराम ये, बिता कुछ समय आत्मग्लानि में,
ट्रेलर से ही तू डर गया, पिक्टर क्या ख़ाक देख पायेगा,
याद रख, खाली हाथ आया था, खाली हाथ ही जायेगा,
समय रहते संभल जा पौरुष, ये वक्त लौट के फिर न आएगा,
कण-कण में है वास ईश्वर का, मानेगा तब ही भव तर पायेगा |
No comments:
Post a Comment