Thursday, July 26, 2007

महिमा श्री 'के' की



‘किस्मत’ से एक दिन राह में मिले मुझे ‘श्री के’,
तेवर तो बदले-बदले दिखते थे जनाब के…
पूछा जब मैंने, “ क्या कोई लॉटरी हाथ लग गयी”
बोले"-नही एकता नाम कि लड़की मुझसे पट गयी…
जबसे मिली है वो मेरा हाल ही कुछ ऐसा है,
नाम होता मेरा और कमाती वो पैसा है..

अब तो ‘कहानी घर घर की’ है यही,
‘क्यूंकि सास भी कभी बहु थी’ को मानते हैं सब सही…
‘कौन बनेगा करोडपती’ प्रश्न यही गूंजता है,
‘कमजोर कडी कौन?’ एक दुसरे से पूछता है…
‘कुंडली’
बनाती है ‘कभी सौतन कभी सहेली’
‘क्या मस्ती क्या धूम’ कहती है सोनाली हठेली
कभी ‘किसमें कितना है दम’ पूछता है सोनू निगम,
और कभी कलश’
से भरे हाथों में खनकते हैं ‘कंगन’
जबसे नाम हुआ है मेरा लड़कियों ने नाम बदल डाले,
सविता हो गयी ‘कविता’
और ‘कुसुम’ ने सुमन कि किस्मत के खोल दिए ताले…”
यह सब सुनकर मेरे मन में अजब जिज्ञासा जगी,
और अचनाक अपने नाम में ‘के’ कि कमी खलने लगी…
मन ही मन विचार आया क्यों ना ‘बिंदिया’ को ‘किन्दिया’ कर दिया जाये,
इससे शायद मेरी भी सोयी हुई किस्मत जग जाये…

और तभी मुझे ‘कहो ना प्यार है’
और ‘कभी ख़ुशी कभी गममें ‘के’ के तात्पर्य समझ आने लगे,
‘के’ से शुरू होने वाले सभी नाम मन को बहुत भाने लगे..
सोचा काश ‘दिल्ली’ होती ‘किल्ली’ और ‘पाकिस्तान’ होता ‘काकिस्तान’…
ना होती कोई लडाई ओर हम शान से कहते, “मेरा कारत महान”
इतने में श्री ‘के’ बोले ,"मैडम कहॉ है आपका ध्यान?”…
मैं बोली,"के तेरी महिमा महान,
दिया मुझे अमूल्य ज्ञान…
आज तक इस रहस्य से रही मैं अनजान,
अब समझ में आया क्यों रहा मेरा जीवन वीरान…
अब तो बस रात दिन ‘के-के’ ही कहा करूंगी,
‘के’ पढ़ूगी,’के’ लिखुनगी, ‘के-के’ ही रटा करूंगी..

करती हूँ ‘कोशिश-एक आशा’ है कामयाब होगी,
‘कहीँ किसी रोज़’
अपनी भी इज़्ज़त कहीँ तो जनाब होगी…

No marks for guessing that this poem is inspired by Ekta Kapoor's tele series whose names invariably started with K :)

1 comment:

Anand Wattal said...

Hey u are toooooooo gud yaar! I tell u, bas 2 blogs se hi faan ban gaya main to...
I think u shud continue this Kavita on "K" series........ So that there is always sumthing new to read out for!

U rock babe! ;)